उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके इस वक्त सबसे बड़ी आपदा से जूझ रहे हैं। जंगलों में धधक रही आग ने उत्तराखंड का तापमान और बढ़ा दिया है। इस फायर सीजन में जंगल की आग की 886 घटनाएं हो चुकी हैं। जिसकी चपेट में आकर अब तक तीन की मौत और पांच लोग घायल हो चुके हैं। वहीं, 1107 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।

उत्तरकाशी में 19.55 हेक्टेयर जंगल जलकर राख

उत्तरकाशी जिले की बाड़ाहाट रेंज से लेकर धरासू रेंज के अत्यधिक जंगल जल रहे हैं। विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक अब तक 19.55 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गए हैं। जहां धुएं से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो वहीं आग बुझाने में वन विभाग भी अपनी तमाम कोशिशें कर रहा है।

बता दें कि, बीते 2 मई की शाम को बाड़ाहाट रेंज के जंगलों में लगी आग अभी तक भी नहीं बुझ पाई। वहीं, मुखेम रेंज के डांग, पोखरी गांव से लगे जंगल के साथ डुंडा रेंज के चामकोट व दिलसौड़ क्षेत्र के जंगल भी वनाग्नि की चपेट में हैं। साथ ही धरासू रेंज में फेडी व सिलक्यारा से लगे जंगलों में भी आग का तांडव नजर आ रहे है।

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जानकारी के अनुसार, अभी तक वनाग्नि की चपेट में आकर उत्तरकाशी वन प्रभाग में 19.55 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो चुका है। वहीं अब तक वनाग्नि की 27 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। वनाग्नि के चलते अमूल्य वन संपदा के साथ वन्यजीवों को भी नुकसान पहुंचने की संभावना है। लेकिन वन विभाग की ओर वनाग्नि की रोकथाम के लिए कोई सार्थक प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि वन विभाग का कहना है कि वनाग्नि नियंत्रण के लिए संसाधन बढ़ाए हैं।

आग के तांडव से चिंता में धामी सरकार

जंगलों में बड़ रहे आग के तांडव से जनता के साथ-साथ सरकार भी काफी चिंतित है। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि को लेकर हाई लेवल बैठक कर सभी अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए कि अगले एक हफ्ते के अंदर जंगलों में फैल रही आग पर पूरी तरह काबू पा लिया जाए। इसकी जिम्मेदारी देहरादून में बैठे तमाम विभाग के अधिकारी और जिलों में बैठे अधिकारी लें।

इधर, जिले में वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने आपदा प्रबंधन मद से बीस लाख रुपये की धनराशि आवंटित कर संबंधित विभागों को मिलजुल कर कारगर कदम उठाए जाने के निर्देश दिए हैं।

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