तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए, जिसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह डोली प्रथम पड़ाव चोपता के लिए रवाना हुई। इस अवसर पर मंदिर को फूलों से सजाया गया था और पांच सौ से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने।

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तुंगनाथ मंदिर के कपाट गुरुवार को पूर्वाह्न 11.30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सुबह तुंगनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला गया। इसके बाद नित्य पूजा-अर्चना के साथ तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए। बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की उपस्थिति में साढ़े दस बजे से कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ हुई। भोग, यज्ञ और हवन के बाद तुंगनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप दिया गया तथा पूर्वाह्न 11.30 बजे कपाट बंद कर दिए गए। इसके बाद चल विग्रह डोली ने मंदिर की परिक्रमा की और ढोल-नगाड़ों के साथ जयकारों के बीच चोपता के लिए प्रस्थान किया।

 

 

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