प्रदेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में एक नया कदम उठाया है। राज्य के सभी 17,000 सरकारी स्कूलों में अब भगवद् गीता का अध्ययन कराया जाएगा। इस फैसले का उद्देश्य विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों, जीवन कौशल और आध्यात्मिक समझ से सशक्त बनाना है।

बता दें मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में यह तय किया था कि प्रदेश के विद्यालयों में गीता का अध्ययन कराया जाएगा। उनका कहना है कि जो ज्ञान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था, अगर कोई व्यक्ति उसे अपने जीवन में उतार ले, तो वह जीवनभर उसके काम आता है। इससे बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित होंगे, न्याय का भाव पैदा होगा और वे अच्छे कर्म करना सीखेंगे। मुख्यमंत्री का यह भी कहना है कि गीता कर्म को प्रधान मानते हुए जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, और यही भावना बच्चों के भविष्य को संवार सकती है।
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प्रदेश के कई स्कूलों में इसकी शुरुआत हो चुकी है और छात्रों को इस दिशा में प्रेरित भी किया जा रहा है, ताकि वे गीता के ज्ञान को समझें और अपने जीवन में उसका अनुपालन कर सकें। धामी सरकार के स्कूलों में गीता के श्लोक को बच्चों को सुनने और उसका अर्थ बताए जाने के फैसले का संतों ने स्वागत किया है। संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि आज के समय में गीता जीवन का सार है और धामी सरकार का यह फैसला बहुत ही अच्छा है क्योंकि इससे बच्चे में जीवन को जीने के योग सीखने के साथ साथ क्राइम से दूर होगा।
