जौनसार-बावर क्षेत्र में आयोजित होने वाले महासू देवता के प्रसिद्ध जागड़ा पर्व को 06 सितम्बर से 07 सितंबर तक मनाया जायेगा।

जागड़ा मेले का अर्थ रात्रि जागरण होता है। उत्तराखंड में देवी देवताओं के आह्वान को जागर कहा जाता है। देहरादून के जौनसार बावर क्षेत्र के टौंस नदी के तट पर लोकदेवता महासू के मंदिर में मुख्य मेले का आयोजन किया जाता है।

जागड़ा मेले में उत्तराखंड के टिहरी, रवाईं, जौनपुर, गिरी पार हिमाचल प्रदेश के जुबल, सिरमोर के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए आते है। उत्तराखंड: क्या है हिलजात्रा, सीएम धामी ने हिलजात्रा महोत्सव के आयोजन के लिए ₹5 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की

मेला कब और कैसे माया जाता है:

भाद्रपद के शुक्लपक्ष की तृतीया एवं चतुर्थी के दिन चलने वाला यह मेला रात्रि के समय में शुरू होता है और अपना मुख्य रूप धारण करता है। सदियों से चली आ रही जागर परम्परा के द्वारा महासू देवता का आह्वान किया जाता है। आज के दिन कई श्रद्धालुओं द्वारा उपवास रखा जाता है। पूरी रात भक्तों द्वारा महासू देवता की भक्ति की जाती है तथा पूरी आस्था और श्रद्धा से सभी लोग इस में सहयोग देते है।

वहीं अगले दिन सुबह पुजारी द्वारा देवता की प्रतिमा को यमुना स्नान के लिए बाहर लाया जाता है। सभी भक्तजन देवडोली के दर्शन करते है और यमुना में स्नान के लिए जाते समय महासू देवता की प्रतिमा को उठा कर लोकवाद्यों की ध्वनि के साथ सभी लोग नदी के तट तक जाते है।

आपको बता दें कि जब तक डोली नदी के तट पर नही पहुंचती तब तक डोली को उतारने का कोई प्रावधान नहीं हैं। स्नान कराने के बाद प्रतिमा को पुनः स्थापित किया जाता है और पूजा अर्चना करके सभी लोग भोजन ग्रहण करते हैं और उपवास को शांत किया जाता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पर्यटक मंत्री सतपाल महाराज ने महासू महाराज के जागड़ा पर्व की सभी को शुभकामनाएं दी।

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