मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शासकीय आवास से पिथौरागढ़ में आयोजित हिलजात्रा महोत्सव को वर्चुअली सम्बोधित कर सभी को हिलजात्रा पर्व की शुभकामनाएँ दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार हर घर में माँ गौरा और भगवान महेश्वर की पारंपरिक पूजा के साथ सातू-आठू पर्व से हिलजात्रा की धारा प्रवाहित होती है उसी प्रकार सबके जीवन में भी सुख, समृद्धि और शांति की धारा निरंतर प्रवाहित होती रहे।

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बता दें उत्तराखंड में हिलजात्रा एक प्रमुख मुखौटा नृत्य नाम से मशहूर है। यह महोत्सव उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले के कुमौड़ और बजेठी गांवों में मनाया जाता है। यह त्योहार मूल रूप से चरवाहों और कृषिविदों का त्यौहार है। इसमें बैल, हिरण, चीतल और लखिया भूत जैसे दर्जनों पात्र मुखौटों के साथ मैदान में उतरकर दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। साथ ही पहाड़ के कृषि प्रेम को भी दर्शाते हैं। इस महोत्सव में लोक जीवन के साथ आस्था और हास्य भी है। कुमौड़ में हिलजात्रा पांच शताब्दी से मनाया जा रहा है।

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इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हिलजात्रा महोत्सव के आयोजन हेतु ₹5 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान करने, मोस्टामानू मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए ₹98 लाख स्वीकृत करने, चौतोल मेला परिसर, श्री गोलज्यू मंदिर के सौंदर्यीकरण हेतु धनराशि की स्वीकृति प्रदान करने तथा कुमौड़ में हिलजात्रा मेला स्थल के सौंदर्यीकरण का कार्य कराने की घोषणा की। साथ ही  जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को जी.जी.आई.सी. के समीप निर्माण की जाने वाली पार्किंग में ‘‘स्ट्रक्चरल सेफ्टी’’ का जल्द से जल्द अपने स्तर पर परीक्षण करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सोरघाटी की ये ऐतिहासिक हिलजात्रा हमारी आस्था, विश्वास और समृद्ध परंपराओं का प्रतीक है। यह यात्रा केवल एक धार्मिक या पारंपरिक आयोजन ही नहीं बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है।

सीएम ने कहा भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, और उज्जैन में महाकाल लोक जैसी परियोजनाएं पूरी हुई है। प्रधानमंत्री जी ने स्वयं पिथौरागढ़ क्षेत्र की यात्रा कर आदि कैलाश यात्रा को भी विश्व भर में प्रसिद्धि दिलाने का कार्य किया है।

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उन्होंने कहा कि हिलजात्रा जैसे पर्वों के माध्यम से हमें हमारी युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराने का अवसर मिलता है। उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे अपनी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करें और उन्हें आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें। साथ ही  कहा कि निर्धारित प्रशासनिक व्यस्तताओं के चलते वे व्यक्तिगत रूप से इस आयोजन में शामिल नहीं हो पाये लेकिन उन्हें इस बात का संतोष भी है कि तकनीक के माध्यम से आप सभी के साथ वर्चुअल रूप से जुड़कर वे इस अद्भुत उत्सव का साक्षी बन पा रहे हैं।

 

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